আজ সকালে ঘুম থেকে উঠতে বড্ড দেরি হয়ে গেল, হাতে আর মিনিট দশেক। ঘড়ির কাঁটাটা যেন দৌড়াচ্ছে, এবার খেয়েদেয়ে বেরিয়ে পড়তে হবে না হলে দেরি হয়ে যাবে। …
Read moreकभी देखा है उन राहों से गुज़र के, जिनकी सुबह शायद कभी ; हमारे कदमों के इंतजार में रहते , हर अनचाहे गुफ्तगू की गवाई बनते , और अनगिनत यादों को कैद कर ल…
Read moreज़रा सोचो कभी ; जीवन बिना उद्देश्य के हो तो, जैसे पानी मिले बिना प्यास के, पंछी रहे बगैर अपने पंख फैलाए, और वसंत आए बिना फूलों के। ज़रा ठहर जाओ ; मान…
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